जेवलिन थ्रो में भारत के देवेंद्र झाझरिया ने सिल्वर पदक अपने नाम किया है.
इंटरनेशनल खिलाड़ी, देश की आन, राजस्थान की शान और चूरू के लाडले देवेन्द्र झाझड़िया का आज जन्मदिन है। सोशल मीडिया उनके जन्मदिन की बधाइयों से भरा पड़ा है। उन्हें फोन करके शुभकामनाएं देने वालों का भी तांता लगा हुआ है। इस खास मौके पर आईए डालते हैं 38 वर्षीय देवेन्द्र झाझड़िया के संघर्ष, कामयाबी और सादगी भरी जिंदगी पर एक नजर।
देवेन्द्र भारत के भाला फेंक खिलाड़ी है, जिनका सिर्फ एक हाथ है. देवेन्द्र दुनिया के नजरों में तब आये, जब उन्होंने अभी पैरालम्पिक रियो 2016 में भाग लिया था, और भाला फेंक प्रतियोगिता में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया. देवेन्द्र भारत के एक अकेले पैरालम्पिक खिलाड़ी है, जिन्हें इस प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल मिला है. देवेन्द्र ने इससे पहले 2004 में हुए, समर पैरालम्पिक में भी गोल्ड मैडल जीता था, जिसके बाद उनका ये दूसरा पैरालिम्पिक में गोल्ड मैडल है, और इस समय उन्होंने अपने पहले के रिकॉर्ड से बेहतर प्रदर्शन किया था. देवेंद्र वर्तमान में पैरा चैंपियंस कार्यक्रम के माध्यम से GoSports फाउंडेशन से जुड़े हुए थे
देवेन्द्र झाझड़िया का जीवन परिचय | Devendra Jhajharia Biography In Hindi
Table of Contents
पूरा नाम | देवेन्द्र झाझड़िया |
जन्म | 10 जून, 1981 |
जन्म स्थान | चुरू जिला, राजस्थान |
माता का नाम | जीवनी देवी |
पिता का नाम | राम सिंह झाझड़िया |
खेल | एथलीट |
पत्नी | मंजू |
बच्चे | बेटी – जिया (6 साल)बेटा – काव्यान (2 साल) |
Devendra Jhajharia Family
देवेन्द्र झाझड़िया का परिवार राजस्थान के चूरू जिले के राजगढ़ उपखण्ड के जयपुरिया खालसा पोस्ट हड़ियाल के रामसिंह झाझड़िया और जीवनी देवी के घर 10 जून 1981 को जन्मे देवेन्द्र झाझड़िया वर्तमान में भारतीय खेल प्राधिकरण के कोच (जॉब) भी हैं। राजगढ़ के गांव चिमनपुरा निवासी मंजू झाझड़िया से वर्ष 2007 में शादी हुई। मंजू कब्बडी खिलाड़ी है। इनके बेटी जिया व बेटाया काव्यान है। इनके अलावा देवेन्द्र झाझड़िया के दो भाई महेन्द्र व जोगेंन्द्र और बहन मायापती, धनपती, किरोड़पती और नीरमा है। वर्तमान में देवेन्द्र झाझड़िया जयपुर के मुरलीनगर स्थित सूर्यानगर में रहते हैं।
देवेन्द्र झाझड़िया का खेल व रिकॉर्ड
8वीं फेसपिक गेम्स बुसान 2002 (पैरा एशियन) में स्वर्ण पदक के साथ नया विश्व रिकॉर्ड – ब्रिटिश ओपन एथलेटिक्स चैम्पियशिप 2003 में जेवलिन थ्रो, ट्रिपल जम्प और शॉट पुट में स्वर्ण पदक – एथेंस पैरालंपिक गेम्स 2004 में जेवलिन थ्रो में विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता और व्यक्तिगत रूप से पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। -नौवीं फेसकिप गेम्स कुआलालम्पुर 2006 (पैरा एशियन) जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक व रिकॉर्ड -आईडब्यूएएस वर्ल्ड गेम्स ताइपेई ताइवान 2007 में जेवलिन थ्रो में रजत पदक -आईडब्यूएएस वर्ल्ड गेम्स बंगलौर 2009 में जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक व डिस्कस थ्रो में रजत पदक -वर्ल्ड चैम्पियशिप लियोन फ्रांस 2003 जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक हासिल कर चैम्पियशिप का नया रिकॉर्ड बनाया। -पैरा एशियन गेम्स इंचियोन कोरिया 2014 में रजत पदक -आईपीसी वर्ल्ड चैम्पियशिप दोहा 2015 में रजत पदक -पैरालंपिक रियो डे जेनेरियो 2016 में स्वर्ण पदक के साथ खुद का एथेंस का विश्व रिकॉर्ड तोड़ा। पैरालंपिक में दो बार स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।
देवेन्द्र झाझड़िया करियर (Devendra Jhajharia career)
देवेन्द्र के साथ हुए हादसे ने देवन्द्र के हाथ को जरुर अपाहिज बना दिया, लेकिन उसके मजबूत इरादों को वो कमजोर नहीं कर पाया. 1995 में देवेन्द्र ने पहली बार पैरा-एथलेटिक्स में हिस्सा लिया. 1997 में देवेन्द्र के स्कूल में स्पोर्ट्स डे के दौरान द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित कोच आर डी सिंह को बुलाया गया. यहाँ आर डी सिंह ने देवेन्द्र को खेलते हुए देखा, और वे उसकी क्षमता को जान गए और और उसे अपना शिष्य बना लिया. कोच सिंह ने देवेन्द्र को खेल को गहराई से लेने को कहा, और इस में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया. कोच आर डी सिंह ने देवेन्द्र का दाखिला नेहरु कॉलेज में कराया. यहाँ पढाई के साथ साथ देवेन्द्र अपने कोच के साथ अभ्यास भी किया करते थे. देवेन्द्र ने 2001 में अपना ग्रेजुएशन अजमेर यूनिवर्सिटी से पूरा किया.
देवेन्द्र को मिले मुख्य पुरुस्कार (Devendra Jhajharia indian athlete awards) –
- सन 2004 में खेल के बड़े पुरुस्कार ‘अर्जुन अवार्ड’ से सम्मानित किया गया.
- सन 2012 में देवेन्द्र को देश के चौथे बड़े सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया. यह पहला मौका था जब किसी पैरालिम्पिक खिलाड़ी को ये सम्मान दिया गया था.
- सन 2014 में FICCI पैरा-खिलाड़ी स्पोर्ट्समैन ऑफ़ दी इयर का ख़िताब देवेन्द्र को दिया गया.
- सन 2005 में राजस्थान सरकार द्वारा देवेन्द्र झाझडिया को ‘महराना प्रताप पुरुस्कार’ से सम्मानित किया गया था. खेल के लिए राजस्थान में ये सबसे बड़ा अवार्ड है. इस अवार्ड के साथ 10 हजार की नगद राशी भी दी गई थी.
- देवेन्द्र के पास 4 पैरालिम्पिक मैडल है, जिसमें 2 गोल्ड, 1 सिल्वर एवं 1 ब्रोंज मैडल है.